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भारत पर इन 11 विदेशियों ने किया था राज
भारत का इतिहास अंग्रेजों ने लिखा जिसके चलते देश के हिन्दू और मुसलमानों में भ्रम और द्वेष की स्थिति फैल गई, जो आज तक फैली हुई है। इतिहास के इस भ्रम और झूठ को हटाकर अब लोगों को सत्य बताने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन इतिहास के सच को उसी तरह लिखा जाना चाहिए, जैसा कि वह है।
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राष्ट्रकूट राजवंश - विकिपीडिया
राष्ट्रकूट (कन्नड़: ರಾಷ್ಟ್ರಕೂಟ) दक्षिण भारत, मध्य भारत और उत्तरी भारत के बड़े भूभाग पर राज्य करने वाला राजवंश था।
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राष्ट्रकूट वंश - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर
राष्ट्रकूट वंश का आरम्भ 'दन्तिदुर्ग' से लगभग 736 ई. में हुआ था। उसने नासिक को अपनी राजधानी बनाया। इसके उपरान्त इन शासकों ने मान्यखेत, (आधुनिक मालखंड) को अपनी राजधानी बनाया। राष्ट्रकूटों ने 736 ई. से 973 ई. तक राज्य किया।
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राष्ट्रकूट राजवंश
राष्ट्रकूट राजवंश
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गुर्जर प्रतिहार राजवंश - विकिपीडिया
गुर्जर प्रतिहार वंश मध्यकाल के दौरान मध्य-उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में राज्य करने वाला भारतीय वंश था, जिसकी स्थापना नागभट्ट नामक ने ७२५ ई॰ में की थी।
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गुर्जर प्रतिहार वंश
'प्रतिहार वंश' को गुर्जर प्रतिहार वंश (छठी शताब्दी से 1036 ई.) इसलिए कहा गया, क्योंकि ये गुर्जरों की ही एक शाखा थे, जिनकी उत्पत्ति गुजरात व दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में हुई थी। प्रतिहारों के अभिलेखों में उन्हें श्रीराम के अनुज लक्ष्मण का वंशज बताया गया है, जो श्रीराम के लिए प्रतिहा
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गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य
गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने 725 ई. में की थी। उसने राम के भाई लक्ष्मण को अपना पूर्वज बताते हुए अपने वंश को सूर्यवंश की शाखा सिद्ध किया। अधिकतर गुर्जर सूर्यवंश का होना सिद्द करते है तथा गुर्जरो के शिलालेखो पर अंकित सूर्यदेव की कलाकृर्तिया भी इनके सूर्य
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पूर्वी चालुक्य - विकिपीडिया
पूर्वी चालुक्य सोलंकी या 'वेंगी के चालुक्य' दक्षिणी भारत का एक राजवंश था, जिनकी राजधानी वर्तमान आंध्र प्रदेश में वेंगी (वर्तमान एलुरु के पास) थी। पूर्वी चालुक्यों ने ७वीं शताब्दी से आरम्भ करके ११३० ई तक लगभग ५०० वर्षों तक शासन किया। इसके बाद वेंगी राज्य चोल साम्राज्य में विलीन हो
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पूर्वी चालुक्य साम्राज्य का इतिहास
वेंगी का प्राचीन राज्य आधुनिक आन्ध्र प्रदेश की कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के बीच स्थित था । वेंगी की पहचान गोदावरी जिले में स्थित णेश्चेगि नामक स्थान से की जाती है ।
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पूर्वी चालुक्य- GK in Hindi - सामान्य ज्ञान एवं करेंट अफेयर्स
पूर्वी चालुक्य एक दक्षिण भारतीय साम्राज्य था जिसका राज्य वर्तमान आंध्र प्रदेश में स्थित था। उनकी राजधानी वेंगी थी और उनका वंश 7 वीं शताब्दी से 500 वर्षों तक रहा। 1130 C.E. में वेंगी साम्राज्य पर चोल साम्राज्य ने अधिकार कर लिया।। पूर्वी चालुक्यों का वातापी (बादामी) के चालुक्यों से गहरा संबंध था। अपने इतिहास
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पल्लव राजवंश - विकिपीडिया
पल्लव राजवंश प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। चौथी शताब्दी में इसने कांचीपुरम में राज्य स्थापित किया और लगभग ६०० वर्ष तमिल और तेलुगु क्षेत्र में राज्य किया। बोधिधर्म इसी राजवंश का था जिसने ध्यान योग को चीन में फैलाया। यह राजा अपने आप को क्षत्रिय मानते थे।[1]
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पल्लव वंश
पल्लव राजवंश: पल्लव राजवंश की स्थापना की जानकारी में मतभेद है। अवशेषों के अनुसार कहा जा सकता है कि सातवाहन वंश के पतन के बाद ही इस वंश की स्थापना हुयी। कुछ इतिहासकार पल्लव वंश का संस्थापक बप्पदेव को मानते हैं जो आंध्र प्रदेश पर शासन करता था। पल्लव वंश की राजधानी कांची थी। इस…
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पल्लव कौन थे? पल्लव वंश के शासक और उनकी उपलब्धियाँ
पल्लव कौन थे? पल्लव वंश के शासक और उनकी उपलब्धियाँ
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पाल वंश - विकिपीडिया
पाल साम्राज्य मध्यकालीन "उत्तर भारत" का सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण साम्राज्य माना जाता है, जो कि ७५० - ११७४ इसवी तक चला। "पाल राजवंश" को "पाल क्षत्रिय राजवंश" "गुुप्त राजवंश" भी कहा गया है ।पाल क्षत्रिय राजवंश ने भारत के पूर्वी भाग में एक विशाल साम्राज्य बनाया।
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पाल साम्राज्य - विकिपीडिया
हर्ष के समय के बाद से उत्तरी भारत के प्रभुत्व का प्रतीक कन्नौज माना जाता था। बाद में यह स्थान दिल्ली ने प्राप्त कर लिया। पाल साम्राज्य की नींव 750 ई. में 'गोपाल' नामक राजा ने डाली। बताया जाता है कि उस क्षेत्र में फैली अशान्ति को दबाने के लिए कुछ प्रमुख लोगों ने उसको राजा के रूप म
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पाल वंश
पाल वंश
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चोल राजवंश - विकिपीडिया
चोल (तमिल - சோழர்) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया।
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चोल राजवंश
चोल राजवंश
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कर्नाट वंश - विकिपीडिया
कर्नाट वंश या सिमराँव वंश या देव राजवंश का उदय 1097 ई. में मिथिला में हुआ। जिसकी राजधानी बारा जिले के सिम्रौनगढ़ में थी। कर्नाट वंश का संस्थापक नान्यदेव था। नान्यदेव एक महान शासक था। उनका पुत्र गंगदेव एक योग्य शासक बना। कर्नाट वंश के शासनकाल को 'मिथिला का स्वर्णयुग' भी कहा जाता ह
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परमार वंश - विकिपीडिया
परमार या पँवार मध्यकालीन भारत का एक अग्निवंशी क्षत्रिय राजवंश था। इस राजवंश का अधिकार धार-मालवा-उज्जयिनी-आबू पर्वत और सिन्धु के निकट अमरकोट आदि राज्यों तक था। लगभग सम्पूर्ण पश्चमी भारत क्षेत्र में परमार वंश का साम्राज्य था। ये ८वीं शताब्दी से १४वीं शताब्दी तक शासन करते रहे।
https://hi.wikipedia.org/wiki/परमार_वंश
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सेन राजवंश - विकिपीडिया
सेन राजवंश भारत का एक राजवंश का नाम था, जिसने १२वीं शताब्दी के मध्य से बंगाल पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। सेन राजवंश ने बंगाल पर १६० वर्ष राज किया। अपने चरमोत्कर्ष के समय भारतीय महाद्वीप का पूर्वोत्तर क्षेत्र इस साम्राज्य के अन्तर्गत आता था। इस वंश का मूलस्थान कर्णाटक था।[3]
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काकतीय वंश - विकिपीडिया
११९० ई. के बाद जब कल्याण के चालुक्यों का साम्राज्य टूटकर बिखर गया तब उसके एक भाग के स्वामी वारंगल के काकतीय हुए; दूसरे के द्वारसमुद्र के होएसल और तीसरे के देवगिरि के यादव। स्वाभाविक ही यह भूमि काकतीयों के अन्य शक्तियों से संघर्ष का कारण बन गई। काकतीयों की शक्ति प्रोलराज द्वितीय क
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होयसल राजवंश - विकिपीडिया
होयसल प्राचीन दक्षिण भारत का एक यदुवंशी अहिर आभीर राजवंश था। इसने दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक राज किया।
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