(विभिन्न ऋतुओं में आचरण योग्य आहार-विहार) हमारे शरीर पर खान-पान के अलावा ऋतुओं और जलवात का भी प्रभाव पड़ता है। एक ऋतु में कोई एक दोष बढ़ता है, तो कोई शान्त होता है और दूसरी ऋतु में कोई दूसरा दोष बढ़ता तथा अन्य शान्त होता है। इस प्रकार मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ ऋतुओं का … Continue reading "ऋतुचर्या"
आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना तथा रोगी मनुष्य के रोग की चिकित्सा करना है। इस प्रयोजन की सम्पूर्ति हेतु आचार्यो ने दिनचर्या, रात्रिचर्या, ऋतुचर्या का विधान बताया है।
नई दिल्ली। कुछ खाद्य पदार्थों को आहार के रूप में ग्रहण किया जाये तो वे शरीर का तापमान बढ़ा देते है, जबकि ऐसे आहार ठंड के मोसम में ग्रहण किये जायें तो शरीर का तापमान अनुकूल हो जाता है। जब प्रक्रति में...
(विभिन्न ऋतुओं में आचरण योग्य आहार-विहार) हमारे शरीर पर खान-पान के अलावा ऋतुओं और जलवात का भी प्रभाव पड़ता है। एक ऋतु में कोई एक दोष बढ़ता है, तो कोई शान्त होता है और दूसरी ऋतु में कोई दूसरा दोष बढ़ता तथा अन्य शान्त होता है। इस प्रकार मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ ऋतुओं का … Continue reading "ऋतुचर्या"
आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना तथा रोगी मनुष्य के रोग की चिकित्सा करना है। इस प्रयोजन की सम्पूर्ति हेतु आचार्यो ने दिनचर्या, रात्रिचर्या, ऋतुचर्या का विधान बताया है।
नई दिल्ली। कुछ खाद्य पदार्थों को आहार के रूप में ग्रहण किया जाये तो वे शरीर का तापमान बढ़ा देते है, जबकि ऐसे आहार ठंड के मोसम में ग्रहण किये जायें तो शरीर का तापमान अनुकूल हो जाता है। जब प्रक्रति में...