कामुकता एक सहज वृति है जो हर इंसान में होती है, अगर हम कामुक होना बंद कर दे तो परकृति का अविरल चलने वाली धारा ही बंद हो जायगी.कामुकता एक नेश्र्सिक खूबी है।
अपनी फिल्मों और जीवन के जरिए फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष ने स्त्री मन और पुरुष के साथ उसके संबंधों को नए सिरे से परिभाषित किया लेकिन क्या लोग वाकई उन्हें पूरी तरह समझ सके?
कामुकता एक सहज वृति है जो हर इंसान में होती है, अगर हम कामुक होना बंद कर दे तो परकृति का अविरल चलने वाली धारा ही बंद हो जायगी.कामुकता एक नेश्र्सिक खूबी है।
अपनी फिल्मों और जीवन के जरिए फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष ने स्त्री मन और पुरुष के साथ उसके संबंधों को नए सिरे से परिभाषित किया लेकिन क्या लोग वाकई उन्हें पूरी तरह समझ सके?