सरकार का एक टास्क फ़ोर्स लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहा है. लेकिन एक सर्वे ने पाया है कि ज़्यादातर लड़कियाँ इस प्रस्ताव को काफ़ी नहीं मानती हैं.
अंग्रेजी के बिज़नेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, सरकार इस पर विचार कर रही हैं. इसके पीछे का मकसद मातृत्व मृत्युदर (maternal mortality) में कमी लाना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने पिछले हफ्ते अपने बजट भाषण में कहा था कि महिला के मां बनने की सही उम्र के बारे में सलाह देने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी.
दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका में कहा गया है कि भारत में लड़की और लड़के की शादी के लिए न्यूनतम उम्र को समान यानी 21 साल किया जाना चाहिए. भारत में धर्म के हिसाब से शादी की उम्र अलग-अलग है.
बेमेल अथवा अनमेल विवाह हमारे समाज में मौजूद अनेक विकट विकृतियों में से एक प्रमुख विकृति है जो पुरुषवादी इस सोच को भी पुख्ता रूप से इंगित करती है कि स्त्री मात्र भोग्या है एक जीती जागती वस्तु जिसकी
भारत न्यूज़: नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) लड़के और लड़कियों के विवाह की समान आयु के लिये विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित जनहित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिये एक याचिका दायर की गयी है, ताकि इस विषय पर परस्पर विरोधी दृष्टिकोण को टाला जा सके।
सरकार का एक टास्क फ़ोर्स लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहा है. लेकिन एक सर्वे ने पाया है कि ज़्यादातर लड़कियाँ इस प्रस्ताव को काफ़ी नहीं मानती हैं.
अंग्रेजी के बिज़नेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, सरकार इस पर विचार कर रही हैं. इसके पीछे का मकसद मातृत्व मृत्युदर (maternal mortality) में कमी लाना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने पिछले हफ्ते अपने बजट भाषण में कहा था कि महिला के मां बनने की सही उम्र के बारे में सलाह देने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी.
दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका में कहा गया है कि भारत में लड़की और लड़के की शादी के लिए न्यूनतम उम्र को समान यानी 21 साल किया जाना चाहिए. भारत में धर्म के हिसाब से शादी की उम्र अलग-अलग है.
बेमेल अथवा अनमेल विवाह हमारे समाज में मौजूद अनेक विकट विकृतियों में से एक प्रमुख विकृति है जो पुरुषवादी इस सोच को भी पुख्ता रूप से इंगित करती है कि स्त्री मात्र भोग्या है एक जीती जागती वस्तु जिसकी
भारत न्यूज़: नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) लड़के और लड़कियों के विवाह की समान आयु के लिये विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित जनहित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिये एक याचिका दायर की गयी है, ताकि इस विषय पर परस्पर विरोधी दृष्टिकोण को टाला जा सके।