किसी भी बजट के दो हिस्से होते हैं- आय और खर्च. पारिवारिक हिसाब-किताब का बजट भी इससे बहुत अलग नहीं होता. हां, एक अंतर जरूर होता है- सरकारी बजट में भारी-भरकम घाटे का जिक्र होता है. इसके विपरीत पारिवारिक बजट में कर्ज का ज्यादा बोझ नहीं होता. दरअसल, बजट भविष्य की आय और खर्चों की …
किसी भी बजट के दो हिस्से होते हैं- आय और खर्च. पारिवारिक हिसाब-किताब का बजट भी इससे बहुत अलग नहीं होता. हां, एक अंतर जरूर होता है- सरकारी बजट में भारी-भरकम घाटे का जिक्र होता है. इसके विपरीत पारिवारिक बजट में कर्ज का ज्यादा बोझ नहीं होता. दरअसल, बजट भविष्य की आय और खर्चों की …