भारत मे जल का विशाल भण्डार है। इस दृष्टि से भारत का विश्व मे पांचवा स्थान है। इसकी शुरूआत 1897 ई मे दार्जिलिंग में हुयी जहां पहली बार 130 किलोवाट क्षमता का पहला जल विद्युत गृह बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद इस क्षेत्र में भारी वृध्दि हुआ।
उत्तराखंड में बन रही 558 जल-विद्युत परियोजनाओं के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं। सबसे बड़ी अफवाह यह है कि इन परियोजनाओं के लिये सरकार और उसके अफसर निजी कंपनियों से पैसा ले रहे हैं। जल-विद्युत बनाने और बेचने में बहुत अधिक फायदा है, जिसका एक छोटा सा भाग यदि योजना की स्वीकृति
भारत मे जल का विशाल भण्डार है। इस दृष्टि से भारत का विश्व मे पांचवा स्थान है। इसकी शुरूआत 1897 ई मे दार्जिलिंग में हुयी जहां पहली बार 130 किलोवाट क्षमता का पहला जल विद्युत गृह बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद इस क्षेत्र में भारी वृध्दि हुआ।
उत्तराखंड में बन रही 558 जल-विद्युत परियोजनाओं के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं। सबसे बड़ी अफवाह यह है कि इन परियोजनाओं के लिये सरकार और उसके अफसर निजी कंपनियों से पैसा ले रहे हैं। जल-विद्युत बनाने और बेचने में बहुत अधिक फायदा है, जिसका एक छोटा सा भाग यदि योजना की स्वीकृति