भारत में कॉलेज-सेविंग फंड जैसी स्कीम न होने से उदयन जैसे माता-पिता उलझन में रहते हैं. उनकी उलझन इंस्ट्रूमेंट के पसंद को लेकर भी होती है. वे जानना चाहते हैं कि ऐसे इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट में जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए.
स्कूल और कॉलेज में स्टूडेंट्स को जल्द एसआईपी के बारे में पढ़ने को मिल सकता है. भारतीय म्युचुअल फंड संघ स्टूडेंट्स को बचत और निवेश की जानकारी देने पर विचार कर रहा है.
हम सब जानते हैं कि परिवार बढ़ने के साथ ही हमारे सामने बहुत सी वित्तीय जरूरतें आती हैं और हमे लगता है कि समय के साथ-साथ हमारे फाइनेंसियल लक्ष्य तो बढ़ते जा रहे हैं पर हमारी आमदनी उतनी नहीं है कि हम इन जरूरतों, इन लक्ष्यों के हिसाब से बचत कर सकें।
भारत में कॉलेज-सेविंग फंड जैसी स्कीम न होने से उदयन जैसे माता-पिता उलझन में रहते हैं. उनकी उलझन इंस्ट्रूमेंट के पसंद को लेकर भी होती है. वे जानना चाहते हैं कि ऐसे इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट में जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए.
स्कूल और कॉलेज में स्टूडेंट्स को जल्द एसआईपी के बारे में पढ़ने को मिल सकता है. भारतीय म्युचुअल फंड संघ स्टूडेंट्स को बचत और निवेश की जानकारी देने पर विचार कर रहा है.
हम सब जानते हैं कि परिवार बढ़ने के साथ ही हमारे सामने बहुत सी वित्तीय जरूरतें आती हैं और हमे लगता है कि समय के साथ-साथ हमारे फाइनेंसियल लक्ष्य तो बढ़ते जा रहे हैं पर हमारी आमदनी उतनी नहीं है कि हम इन जरूरतों, इन लक्ष्यों के हिसाब से बचत कर सकें।