संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. दक्षिण एशिया में भारत कुपोषण के मामले में सबसे बुरी हालत में है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में किए गए सर्वेक्षणों में पाया गया कि देश के सबसे गरी
भारत में जहाँ अल्प-पोषण दशकों से एक बड़ी समस्या तथा चुनौती बना रहा है, वहीं अति-पोषण, विशेषतः मोटापा, अब एक नई समस्या के रूप में उभर रहा है। इस पृष्ठभूमि में यह कहा जा सकता है कि देश में ‘कुपोषण (अल्प और अति-पोषण) की दोहरी चुनौती’ एक नई वास्तविकता है।
बाल कुपोषण को आमतौर पर बड़े बच्चों की एक समस्या माना जाता है और इसके समाधान के लिए सामान्यत: तीन बाल कुपोषण: अहम है महिलाओं का पोषण, Hindi News - Hindustan
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. दक्षिण एशिया में भारत कुपोषण के मामले में सबसे बुरी हालत में है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में किए गए सर्वेक्षणों में पाया गया कि देश के सबसे गरी
भारत में जहाँ अल्प-पोषण दशकों से एक बड़ी समस्या तथा चुनौती बना रहा है, वहीं अति-पोषण, विशेषतः मोटापा, अब एक नई समस्या के रूप में उभर रहा है। इस पृष्ठभूमि में यह कहा जा सकता है कि देश में ‘कुपोषण (अल्प और अति-पोषण) की दोहरी चुनौती’ एक नई वास्तविकता है।
बाल कुपोषण को आमतौर पर बड़े बच्चों की एक समस्या माना जाता है और इसके समाधान के लिए सामान्यत: तीन बाल कुपोषण: अहम है महिलाओं का पोषण, Hindi News - Hindustan