भारत का आर्थिक विकास सिंधु घाटी सभ्यता से आरम्भ माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित प्रतीत होती है जो यातायात में प्रगति के आधार पर समझी जा सकती है।
यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर...
इस्वी सन ०००१ से २००३ ई तक विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का अंश; ध्यातव्य है कि १८वीं शताब्दी के पहले तक भारत और चीन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ थीं भारत का आर्थिक विकास सिंधु घाटी सभ्यता से आरम्भ माना जाता है।
किसी भी ललित कला का संबंध मानव के दैहिक, दैविक और भौतिक जगत के उत्कर्ष को व्यक्त करता है। सभ्यता ज्यों-ज्यों अधिकाधिक सभ्य एवं सुसंस्कृत होती जाती है त्यों–त्यों ललित कलाओं का विकास अपने चरम पर पहुंचता जाता है। संगीत, ललित कला का एक प्रमुख अंग है।
भारत का आर्थिक विकास सिंधु घाटी सभ्यता से आरम्भ माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित प्रतीत होती है जो यातायात में प्रगति के आधार पर समझी जा सकती है।
यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर...
इस्वी सन ०००१ से २००३ ई तक विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का अंश; ध्यातव्य है कि १८वीं शताब्दी के पहले तक भारत और चीन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ थीं भारत का आर्थिक विकास सिंधु घाटी सभ्यता से आरम्भ माना जाता है।
किसी भी ललित कला का संबंध मानव के दैहिक, दैविक और भौतिक जगत के उत्कर्ष को व्यक्त करता है। सभ्यता ज्यों-ज्यों अधिकाधिक सभ्य एवं सुसंस्कृत होती जाती है त्यों–त्यों ललित कलाओं का विकास अपने चरम पर पहुंचता जाता है। संगीत, ललित कला का एक प्रमुख अंग है।