प्रबोधन

18वीं सदी में यूरोपीय कला व लेखन पर प्रबोधन युग का वर्चस्व था। उस युग में तर्क, वैयक्तिकता, संदेहवाद, विज्ञान में नई रुचि तथा नवजागरण की क्रांति की तैयारी प्रमुख विषय थे।