जलवायु परिवर्तन के उभरते संकट को हल किए बगैर सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करना नामुमकिन है। लेकिन जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिक्रिया स्थायी तरीकों पर आधारित होनी चाहिए. सतत विकास का एक अनिवार्य घटक है प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य और अधिकार, इसीलिए जलवायु परिवर्तन से सीधे प्रभावित होता है।
स्वतन्त्रता के बाद के युग में स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बन्धित ढाँचे में व्यापक विकास देखने में आया है लेकिन जनसंख्या के निरन्तर बढ़ने, परिवर्तित जीवन-पद्धति और नित नए रोगों के उभरने से स्वास्थ्य की देखभाल का काम बढ़ गया है। लेखिका का कहना है कि इन सब समस्याओं के कारण इस क्षेत्र में जितना कार्य
भारतीय संविधान सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार को राज्य का प्राथमिक कर्तव्य मानता है।[1] हालांकि, व्यवहारिकता में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के बहुमत के लिए जिम्मेदार है, और अधिकांश स्वास्थ्य देखभाल के खर्चों का भुगतान बीमा के बजाय रोगियों और उनके परिवारों
जलवायु परिवर्तन के उभरते संकट को हल किए बगैर सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करना नामुमकिन है। लेकिन जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिक्रिया स्थायी तरीकों पर आधारित होनी चाहिए. सतत विकास का एक अनिवार्य घटक है प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य और अधिकार, इसीलिए जलवायु परिवर्तन से सीधे प्रभावित होता है।
स्वतन्त्रता के बाद के युग में स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बन्धित ढाँचे में व्यापक विकास देखने में आया है लेकिन जनसंख्या के निरन्तर बढ़ने, परिवर्तित जीवन-पद्धति और नित नए रोगों के उभरने से स्वास्थ्य की देखभाल का काम बढ़ गया है। लेखिका का कहना है कि इन सब समस्याओं के कारण इस क्षेत्र में जितना कार्य
भारतीय संविधान सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार को राज्य का प्राथमिक कर्तव्य मानता है।[1] हालांकि, व्यवहारिकता में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के बहुमत के लिए जिम्मेदार है, और अधिकांश स्वास्थ्य देखभाल के खर्चों का भुगतान बीमा के बजाय रोगियों और उनके परिवारों