स्वतन्त्रता के बाद के युग में स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बन्धित ढाँचे में व्यापक विकास देखने में आया है लेकिन जनसंख्या के निरन्तर बढ़ने, परिवर्तित जीवन-पद्धति और नित नए रोगों के उभरने से स्वास्थ्य की देखभाल का काम बढ़ गया है। लेखिका का कहना है कि इन सब समस्याओं के कारण इस क्षेत्र में जितना कार्य
विश (डब्ल्युआईएसएच) दो ऐसे नए आविष्कार लॉन्च कर रही है, जिससे न सिर्फ बीमारियों की जांच जल्द, बेहद कम समय और खर्च में प्रभावी तरीके से होगी बल्कि प्राथमिक स्तर पर ही सम्स्याओं की पहचान कर उनका शुरुआत में ही इलाज करना आसान बनाएगी, जिससे इलाज पर लोगों का खर्च कम होगा।
भारतीय संविधान सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार को राज्य का प्राथमिक कर्तव्य मानता है।[1] हालांकि, व्यवहारिकता में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के बहुमत के लिए जिम्मेदार है, और अधिकांश स्वास्थ्य देखभाल के खर्चों का भुगतान बीमा के बजाय रोगियों और उनके परिवारों
स्वतन्त्रता के बाद के युग में स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बन्धित ढाँचे में व्यापक विकास देखने में आया है लेकिन जनसंख्या के निरन्तर बढ़ने, परिवर्तित जीवन-पद्धति और नित नए रोगों के उभरने से स्वास्थ्य की देखभाल का काम बढ़ गया है। लेखिका का कहना है कि इन सब समस्याओं के कारण इस क्षेत्र में जितना कार्य
विश (डब्ल्युआईएसएच) दो ऐसे नए आविष्कार लॉन्च कर रही है, जिससे न सिर्फ बीमारियों की जांच जल्द, बेहद कम समय और खर्च में प्रभावी तरीके से होगी बल्कि प्राथमिक स्तर पर ही सम्स्याओं की पहचान कर उनका शुरुआत में ही इलाज करना आसान बनाएगी, जिससे इलाज पर लोगों का खर्च कम होगा।
भारतीय संविधान सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार को राज्य का प्राथमिक कर्तव्य मानता है।[1] हालांकि, व्यवहारिकता में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के बहुमत के लिए जिम्मेदार है, और अधिकांश स्वास्थ्य देखभाल के खर्चों का भुगतान बीमा के बजाय रोगियों और उनके परिवारों