ग्रासनाल या ग्रासनली (ओसोफैगस) लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी एक संकरी पेशीय नली होती है जो मुख के पीछे गलकोष से आरंभ होती है, सीने से थोरेसिक डायफ़्राम से गुज़रती है और उदर स्थित हृदय द्वार पर जाकर समाप्त होती है।
आहार नली २०-२५ सेमी लम्बी और २-३ सेमी चौड़ी नाली है जो मुँह से पेट मे खाना पहुंचाने के लिये कार्य करती है। ग्रासनली का कैंसर सामान्यतः दो रूपों मे विभाजित होता है स्कैम्स सैल कार्सिनोमा और एडिनो कार्सिनोमा ।
सहारनपुर : खाने की नली में यदि सूजन है और आप दवाओं को नियमित सेवन कर रहे हैं तो आपको जांच कराने की आवश्यकता है क्योकि कैंसर हो सकता है। अंबाला रोड स्थित एक होटल में नीमा व जीएसके I
म के पेड़ पर परजीवी पौधा-कैंसर ऐसा ही कुछ होता है।कैंसर शब्द अंग्रेज़ी के शब्द क्रेब से बना है; जिसका अर्थ कुछ जो कि बहुत पीड़ादायक, हस्ताक्षेप करने वाला और ज़िद्दी हो। ख़ून और कुछ एक अंगों के कैंसर के अलावा सभी तरह के कैंसर दूसरे अंगों में फैलते हैं।
मेडिकली इसे एपिग्लोटाइटिस कहते हैं। इसे गले में होने वाले संक्रमण का एक रूप भी कह सकते हैं। दिक्कत होने पर तुरंत इसका इलाज जरूरी है क्योंकि जिस तरह यह सांस नली के पास होता है उससे सांस लेने में तकलीफ बढऩे का खतरा रहता है। कारण :यह जीवाणु से होने वाला संक्रमण है।
ग्रासनाल या ग्रासनली (ओसोफैगस) लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी एक संकरी पेशीय नली होती है जो मुख के पीछे गलकोष से आरंभ होती है, सीने से थोरेसिक डायफ़्राम से गुज़रती है और उदर स्थित हृदय द्वार पर जाकर समाप्त होती है।
आहार नली २०-२५ सेमी लम्बी और २-३ सेमी चौड़ी नाली है जो मुँह से पेट मे खाना पहुंचाने के लिये कार्य करती है। ग्रासनली का कैंसर सामान्यतः दो रूपों मे विभाजित होता है स्कैम्स सैल कार्सिनोमा और एडिनो कार्सिनोमा ।
सहारनपुर : खाने की नली में यदि सूजन है और आप दवाओं को नियमित सेवन कर रहे हैं तो आपको जांच कराने की आवश्यकता है क्योकि कैंसर हो सकता है। अंबाला रोड स्थित एक होटल में नीमा व जीएसके I
म के पेड़ पर परजीवी पौधा-कैंसर ऐसा ही कुछ होता है।कैंसर शब्द अंग्रेज़ी के शब्द क्रेब से बना है; जिसका अर्थ कुछ जो कि बहुत पीड़ादायक, हस्ताक्षेप करने वाला और ज़िद्दी हो। ख़ून और कुछ एक अंगों के कैंसर के अलावा सभी तरह के कैंसर दूसरे अंगों में फैलते हैं।
मेडिकली इसे एपिग्लोटाइटिस कहते हैं। इसे गले में होने वाले संक्रमण का एक रूप भी कह सकते हैं। दिक्कत होने पर तुरंत इसका इलाज जरूरी है क्योंकि जिस तरह यह सांस नली के पास होता है उससे सांस लेने में तकलीफ बढऩे का खतरा रहता है। कारण :यह जीवाणु से होने वाला संक्रमण है।