प्रत्येक बच्चे के पास उत्प्रेरणा, शिक्षा, खेल – कूद मनोरंजन और संस्कृतिक क्रियाकलापों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और संवेदनात्मक विकास का अधिकार है ताकि वह अपने व्यक्तित्व का विकास अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुरूप कर सके।
अन्य प्राणियों की अपेक्षा, मनुष्य के शरीरिक विकास की गति धीमी होती है| शैशवावस्था में शारीरिक वृद्धि एवं परिवर्तन तीव्रतम गति से होता है| बाल्यावस्था में यह गति धीमी हो जाती है पुन: किशोरावस्था में विकास तीव्रतम गति से होता है
रूसो ने बालकों की तीन अवस्थाओं की कल्पना की थी : शैशवावस्था, जो एक वर्ष से पाँच तक रहती है, बाल्यावस्था जो पाँच वर्ष से 12 वर्ष तक रहती है और किशोरावस्था जो 12 वर्ष से 20 वर्ष तक रहती है।
प्रत्येक बच्चे के पास उत्प्रेरणा, शिक्षा, खेल – कूद मनोरंजन और संस्कृतिक क्रियाकलापों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और संवेदनात्मक विकास का अधिकार है ताकि वह अपने व्यक्तित्व का विकास अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुरूप कर सके।
अन्य प्राणियों की अपेक्षा, मनुष्य के शरीरिक विकास की गति धीमी होती है| शैशवावस्था में शारीरिक वृद्धि एवं परिवर्तन तीव्रतम गति से होता है| बाल्यावस्था में यह गति धीमी हो जाती है पुन: किशोरावस्था में विकास तीव्रतम गति से होता है
रूसो ने बालकों की तीन अवस्थाओं की कल्पना की थी : शैशवावस्था, जो एक वर्ष से पाँच तक रहती है, बाल्यावस्था जो पाँच वर्ष से 12 वर्ष तक रहती है और किशोरावस्था जो 12 वर्ष से 20 वर्ष तक रहती है।