आयुर्वेद में बताया गया है कि ब्रहमा जी ने दक्ष प्रजापति को आयुर्वेद का ज्ञान दिया था दक्ष प्रजापति 18575 साल से पूर्व पैदा हुऐ थे । पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार संसार की प्राचीनतम् पुस्तक ऋग्वेद है।
विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन से सम्बन्धित ज्ञान’। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है।
संहिता एवं सिद्धांत विभाग आयुर्वेद आयु (जीवन) का विज्ञान है। विज्ञान कोई भी हो, वह सिद्धांतो पर ही आधारित होता है। आयुर्वेद अनादि और शाश्वत है। इसके अनादित्व और शाश्वतिकत्व का आधार सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि है।
भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता का दिवस माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि से आज के दिन प्रार्थना की जाती है कि वे समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायुष्य प्रदान करें I
आयुर्वेद प्राचीन भारतीय प्राकृतिक और समग्र वैद्यक-शास्र चिकित्सा पद्धति है। जब आयुर्वेद का संस्कृत से अनुवाद करे तो उसका अर्थ होता है "जीवन का विज्ञान" (संस्कृत मे मूल शब्द आयुर का अर्थ होता है "दीर्घ आयु" या आयु और वेद का अर्थ होता हैं "विज्ञान"।
प्रदेश के निरमंड क्षेत्र से खोजी गई 1052 पन्नों की पुस्तक में क्या रहस्य छिपा है, इसके बारे में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ही बता सकता है। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन को पुस्तक सौंपने के बाद इस पर शोध कार्य किया जा रहा है। पारद विज्ञान यानी कैमेस्ट्री की ऐसी प्राचीन पुस्तक है I
यह अनुभवसिद्ध योगों का संग्रह है और आयुर्वेदमार्त्तण्ड वैद्य यादव त्रिकमजी आचार्य जैसे कृतविद्य तथा सिद्धहस्त वैद्य द्वारा पचास वर्ष के अनुभव के पश्चात् लिखा गया है- इतना ही इस ग्रन्थ की उपयोगिता तथा उपादेयता के बारे में पर्याप्त है।
आयुर्वेद विज्ञान चिकित्सा पद्धतियों में सबसे प्राचीन पद्धति है एवं विश्वसनीय भी है। दुनिया में जब यह पद्धति अवतरित हुई तब लोगों को गयी रोगों से मुक्ति मिली।
आयुर्वेदिक चिकित्सा को आठ भागों में बांटा गया है और इन्हें ही अष्टांग आयुर्वेद के नाम से जाना जाता है. इस लेख में जानिए क्या है अष्टांग आयुर्वेद और उनकी उपयोगिता I
आधुनिकता हर जगह चरम पर पहुँच चुकी है | भारत जैसे देश जहाँ आयुर्वेद का जन्म हुआ, यहाँ भी लोगों ने पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित होकर आधुनिकता जैसी समस्या को खड़ा कर लिया है |
आयुर्वेद के साथ एलोपैथ तरीके से इलाज करना एक बेहतर विकल्प होता है क्योंकि यह कई बीमारियों से जल्द राहत दिलाता है और इसका शरीर पर किसी प्रकार को कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है।
नारायण प्रसाद अवस्थी आयुर्वेद महाविद्यालय में रसशास्त्र और भैषज्य कल्पना पर हुई कार्यशाला 00 विशेषज्ञों ने चौथे दिन शोध कार्य पर दिया जोर कहा- दवाइयों की पैकेजिंग और प्रोसेसिंग में भी हो शोध रायपुर नईदुनिया प्रतिनिधि जो दिखता है वह बिकता है I
आयुर्वेद में बताया गया है कि ब्रहमा जी ने दक्ष प्रजापति को आयुर्वेद का ज्ञान दिया था दक्ष प्रजापति 18575 साल से पूर्व पैदा हुऐ थे । पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार संसार की प्राचीनतम् पुस्तक ऋग्वेद है।
विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन से सम्बन्धित ज्ञान’। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है।
संहिता एवं सिद्धांत विभाग आयुर्वेद आयु (जीवन) का विज्ञान है। विज्ञान कोई भी हो, वह सिद्धांतो पर ही आधारित होता है। आयुर्वेद अनादि और शाश्वत है। इसके अनादित्व और शाश्वतिकत्व का आधार सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि है।
भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता का दिवस माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि से आज के दिन प्रार्थना की जाती है कि वे समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायुष्य प्रदान करें I
आयुर्वेद प्राचीन भारतीय प्राकृतिक और समग्र वैद्यक-शास्र चिकित्सा पद्धति है। जब आयुर्वेद का संस्कृत से अनुवाद करे तो उसका अर्थ होता है "जीवन का विज्ञान" (संस्कृत मे मूल शब्द आयुर का अर्थ होता है "दीर्घ आयु" या आयु और वेद का अर्थ होता हैं "विज्ञान"।
प्रदेश के निरमंड क्षेत्र से खोजी गई 1052 पन्नों की पुस्तक में क्या रहस्य छिपा है, इसके बारे में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ही बता सकता है। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन को पुस्तक सौंपने के बाद इस पर शोध कार्य किया जा रहा है। पारद विज्ञान यानी कैमेस्ट्री की ऐसी प्राचीन पुस्तक है I
यह अनुभवसिद्ध योगों का संग्रह है और आयुर्वेदमार्त्तण्ड वैद्य यादव त्रिकमजी आचार्य जैसे कृतविद्य तथा सिद्धहस्त वैद्य द्वारा पचास वर्ष के अनुभव के पश्चात् लिखा गया है- इतना ही इस ग्रन्थ की उपयोगिता तथा उपादेयता के बारे में पर्याप्त है।
आयुर्वेद विज्ञान चिकित्सा पद्धतियों में सबसे प्राचीन पद्धति है एवं विश्वसनीय भी है। दुनिया में जब यह पद्धति अवतरित हुई तब लोगों को गयी रोगों से मुक्ति मिली।
आयुर्वेदिक चिकित्सा को आठ भागों में बांटा गया है और इन्हें ही अष्टांग आयुर्वेद के नाम से जाना जाता है. इस लेख में जानिए क्या है अष्टांग आयुर्वेद और उनकी उपयोगिता I
आधुनिकता हर जगह चरम पर पहुँच चुकी है | भारत जैसे देश जहाँ आयुर्वेद का जन्म हुआ, यहाँ भी लोगों ने पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित होकर आधुनिकता जैसी समस्या को खड़ा कर लिया है |
आयुर्वेद के साथ एलोपैथ तरीके से इलाज करना एक बेहतर विकल्प होता है क्योंकि यह कई बीमारियों से जल्द राहत दिलाता है और इसका शरीर पर किसी प्रकार को कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है।
नारायण प्रसाद अवस्थी आयुर्वेद महाविद्यालय में रसशास्त्र और भैषज्य कल्पना पर हुई कार्यशाला 00 विशेषज्ञों ने चौथे दिन शोध कार्य पर दिया जोर कहा- दवाइयों की पैकेजिंग और प्रोसेसिंग में भी हो शोध रायपुर नईदुनिया प्रतिनिधि जो दिखता है वह बिकता है I