एक भारतीय उष्णकटिबन्धीय वृक्ष है जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और जंगलों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। यह एक तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है जो लगभग 25 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकता है। इसके पत्ते आमतौर पर वर्ष भर हरे रहते हैं।
कैसे घर में वाइन बनायें. कई हजार सालों से लोग अपने घरों में वाइन (फलों से बनी शराब) बनाते आ रहे हैं | वाइन को किसी भी फल से बनाया जा सकता है, पर वाइन बनाने के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित फल हैं अंगूर |
दोस्तों इस बात से तो हम सभी भली-भांति वाकिफ हैं कि राज्यों में शराबबंदी के बावजूद सस्ती और अच्छी शराब हर जगह उपलब्ध है. दोस्तों शराब के नुकसान से तो हर कोई अच्छे से वाकिफ है. ऐसे में गुजरात के एक शिक्षक ने आयुर्वेदिक शराब बनाया है, जो लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है. गौरतलब है कि गुजरात के पालीताना के रहने वाले इस शिक्षक ने आयुर्वेदिक शराब बनाने का काम कर लोगों को चौंकाने का काम किया है. शिक्षक ने अपने इस देशी दारू का नाम भूवड़ देसी दारू रखा है. इसकी बिक्री का अभियान शुरु किया. अपने इस अभियान की शुरुआत उन्होंने 2 अक्टूबर से की थी और अब तक 200 से ज्यादा लोग इस देसी दारू का सेवन कर चुके हैं.
अक्सर शराब के समर्थक यह कहते सुने गए हैं कि देवता भी तो शराब पीते थे। सोमरस क्या था, शराब ही तो थी। प्राचीन वैदिक काल में भी सोमरस के रूप में शराब का प्रचलन था? या शराब जैसी किसी नशीली वस्तु का उपयोग करते थे देवता?
आप चावल की बनाना चाहते हैं तो उसमें चावल डाल दीजिये। यानी आप जिस चीज़ की शराब बनाना चाहते हैं वह उस घड़े में डाल देते हैं।उसके बाद उसमें नौसादर छिड़क कर घड़े का मुँह अच्छी तरह बंद कर देते हैं ताकि घड़े की हवा बाहर न आ सके और बाहर की हवा घड़े में न जा सके।
महाराष्ट्र में अंगूर, जामुन और करौंदे के बाद अब केले से भी शराब (वाइन) बनाई जाएगी। राज्य सरकार जल्द ही केले से वाइन बनाने के प्रकल्प की मंजूरी देने पर विचार कर रही है। राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने विधान परिषद में इसकी घोषणा की।
बहुत से लोग रेड वाइन पसंद करते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इसे घर पर कैसे बनाया जाए। होममेड वाइन स्टोर की वाइन से बहुत अलग है, कम से कम इसमें आपको हमेशा पता होता है कि अपने हाथों से बनाया गया एक स्वादिष्ट अंगूर पेय बिना एडिटिव्स और अल्कोहल वाला 100% प्राकृतिक अंगूर पेय है।
कच्ची शराब बनाने वाले अवैध कारोबारी लोगों के ¨जदगी के साथ सीधे सीधे मजाक कर रहे हैं। पहले शराब निर्माण में महुआ के साथ शीरे के रूप में गुड़ का प्रयोग करते थे। .. लेकिन अब अधिक लाभ कमाने के चक्कर में गुड़ के स्थान पर यूरिया व नौशादर का प्रयोग करने लगे हैं।
एक भारतीय उष्णकटिबन्धीय वृक्ष है जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और जंगलों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। यह एक तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है जो लगभग 25 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकता है। इसके पत्ते आमतौर पर वर्ष भर हरे रहते हैं।
कैसे घर में वाइन बनायें. कई हजार सालों से लोग अपने घरों में वाइन (फलों से बनी शराब) बनाते आ रहे हैं | वाइन को किसी भी फल से बनाया जा सकता है, पर वाइन बनाने के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित फल हैं अंगूर |
दोस्तों इस बात से तो हम सभी भली-भांति वाकिफ हैं कि राज्यों में शराबबंदी के बावजूद सस्ती और अच्छी शराब हर जगह उपलब्ध है. दोस्तों शराब के नुकसान से तो हर कोई अच्छे से वाकिफ है. ऐसे में गुजरात के एक शिक्षक ने आयुर्वेदिक शराब बनाया है, जो लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है. गौरतलब है कि गुजरात के पालीताना के रहने वाले इस शिक्षक ने आयुर्वेदिक शराब बनाने का काम कर लोगों को चौंकाने का काम किया है. शिक्षक ने अपने इस देशी दारू का नाम भूवड़ देसी दारू रखा है. इसकी बिक्री का अभियान शुरु किया. अपने इस अभियान की शुरुआत उन्होंने 2 अक्टूबर से की थी और अब तक 200 से ज्यादा लोग इस देसी दारू का सेवन कर चुके हैं.
अक्सर शराब के समर्थक यह कहते सुने गए हैं कि देवता भी तो शराब पीते थे। सोमरस क्या था, शराब ही तो थी। प्राचीन वैदिक काल में भी सोमरस के रूप में शराब का प्रचलन था? या शराब जैसी किसी नशीली वस्तु का उपयोग करते थे देवता?
आप चावल की बनाना चाहते हैं तो उसमें चावल डाल दीजिये। यानी आप जिस चीज़ की शराब बनाना चाहते हैं वह उस घड़े में डाल देते हैं।उसके बाद उसमें नौसादर छिड़क कर घड़े का मुँह अच्छी तरह बंद कर देते हैं ताकि घड़े की हवा बाहर न आ सके और बाहर की हवा घड़े में न जा सके।
महाराष्ट्र में अंगूर, जामुन और करौंदे के बाद अब केले से भी शराब (वाइन) बनाई जाएगी। राज्य सरकार जल्द ही केले से वाइन बनाने के प्रकल्प की मंजूरी देने पर विचार कर रही है। राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने विधान परिषद में इसकी घोषणा की।
बहुत से लोग रेड वाइन पसंद करते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इसे घर पर कैसे बनाया जाए। होममेड वाइन स्टोर की वाइन से बहुत अलग है, कम से कम इसमें आपको हमेशा पता होता है कि अपने हाथों से बनाया गया एक स्वादिष्ट अंगूर पेय बिना एडिटिव्स और अल्कोहल वाला 100% प्राकृतिक अंगूर पेय है।
कच्ची शराब बनाने वाले अवैध कारोबारी लोगों के ¨जदगी के साथ सीधे सीधे मजाक कर रहे हैं। पहले शराब निर्माण में महुआ के साथ शीरे के रूप में गुड़ का प्रयोग करते थे। .. लेकिन अब अधिक लाभ कमाने के चक्कर में गुड़ के स्थान पर यूरिया व नौशादर का प्रयोग करने लगे हैं।