पारम्परिक पहनावा

भारत में प्रत्येक क्षेत्र के लोगों की विभिन्न जातीयता, भूगोल, जलवायु और सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर भिन्न पहनावा होता है। ऐतिहासिक रूप से, पुरुषों और महिलाओं के कपड़े शरीर को ढकने वाले सरल लंगोट और धोती से विकसित हुए, और विस्तृत परिधानों का रूप लिया है। ये वस्त्र न केवल रोज़ाना पहने जाते हैं, बल्कि उत्सवों के साथ-साथ अनुष्ठान और नृत्य प्रदर्शन में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।