जीवविज्ञान [1] प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं।
जीव विज्ञान का पिता ग्रीक दार्शनिक अरस्तू (३८४-३२२ ई.पू.) को कहा जाता है। जीवविज्ञान का एक क्रमबद्ध ज्ञान के रूप में विकास उन्हीं के काल में हुआ। उन्होंने सर्वप्रथम पौधों एवं जन्तुओ के जीवन के विभिन्न पक्षों के विषय में अपने विचार प्रकट किये।
एम्स में देश के प्रजनन जीव विज्ञान का सबसे पुराना विशेषज्ञ विभाग है। प्रजनन अनुसंधान इकाई (आरबीआरयू) का सृजन एम्स में फोर्ड फाउंडेशन के अनुदान के साथ 1963 में किया गया था।
जीवों के जैविक गुणों और अंतःक्रियाओं और उनके जैवभौतिकीय पर्यावरण और जैविक जीवों के व्यवहारों के प्रभावों के अध्ययन को पर्यावरण जीव विज्ञान कहा जाता है।
जीवविज्ञान [1] प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं।
जीव विज्ञान का पिता ग्रीक दार्शनिक अरस्तू (३८४-३२२ ई.पू.) को कहा जाता है। जीवविज्ञान का एक क्रमबद्ध ज्ञान के रूप में विकास उन्हीं के काल में हुआ। उन्होंने सर्वप्रथम पौधों एवं जन्तुओ के जीवन के विभिन्न पक्षों के विषय में अपने विचार प्रकट किये।
एम्स में देश के प्रजनन जीव विज्ञान का सबसे पुराना विशेषज्ञ विभाग है। प्रजनन अनुसंधान इकाई (आरबीआरयू) का सृजन एम्स में फोर्ड फाउंडेशन के अनुदान के साथ 1963 में किया गया था।
जीवों के जैविक गुणों और अंतःक्रियाओं और उनके जैवभौतिकीय पर्यावरण और जैविक जीवों के व्यवहारों के प्रभावों के अध्ययन को पर्यावरण जीव विज्ञान कहा जाता है।