भारत में अनेक किसान आजीविका के लिये पशु-पालन पर निर्भर हैं। दूध, मांस, अंडे, ऊन और चमड़ा देने के अलावा, पशु, विशेषकर बैल, खेतों में भी काम आते हैं। पशु-पालन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका है।
एक या अधिक पशुओं के समूह को, जिन्हें कृषि सम्बन्धी परिवेश में भोजन, रेशे तथा श्रम आदि सामग्रियां प्राप्त करने के लिए पालतू बनाया जाता है, पशुधन के नाम से जाना जाता है। शब्द पशुधन, जैसा कि इस लेख में प्रयोग किया गया है, में मुर्गी पालन तथा मछली पालन सम्मिलित नहीं है
महराजगंज: कृषि के साथ पशु पालन को अपनाकर किसान अपना जीवन सुखी व समृद्धिशाली बना सकते हैं। पशु पालन के बिना कृषि कार्य किसानों के लिए अधूरा है। कृषि व पशु पालन दोनों एक दूसरे के पू
खेती अब घाटे का व्यवसाय नहीं रही। इसमें नए प्रयोग की पूरी सम्भावना है। इन सम्भानाओं की बदौलत कई किसानों ने मिसाल कायम की है। उन्होंने ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया और दूसरे किसानों के प्रेरक बने। ऐसे ही किसानों में है। भोजपुर जिले के पीरों प्रखण्ड के देवचन्दा गाँव के
पशुपालन के लिए अब 12 लाख रुपए लोन मिलेगा। जिसमें 50 प्रतिशत सब्सिडी भी मिलेगी। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। ताकि डेयरी उद्योग को गति मिल सके। साथ ही पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में काम करने वाले किसानों को स्वरोजगार मिलेगा।
पशु पालन में घरेलू जानवर शामिल होते हैं | जिनका खेतीबाड़ी के साथ-साथ पालन किया जाता है और ये मार्किट में बिकने वाले उत्पाद देते हैं जैसे खाद्य पदार्थ, दूध और अन्य पदार्थ |
एक या अधिक पशुओं के समूह को, जिन्हें कृषि सम्बन्धी परिवेश में भोजन, रेशे तथा श्रम आदि सामग्रियां प्राप्त करने के लिए पालतू बनाया जाता है, पशुधन के नाम से जाना जाता है। शब्द पशुधन, जैसा कि इस लेख में प्रयोग किया गया है, में मुर्गी पालन तथा मछली पालन सम्मिलित नहीं है
महराजगंज: कृषि के साथ पशु पालन को अपनाकर किसान अपना जीवन सुखी व समृद्धिशाली बना सकते हैं। पशु पालन के बिना कृषि कार्य किसानों के लिए अधूरा है। कृषि व पशु पालन दोनों एक दूसरे के पू
खेती अब घाटे का व्यवसाय नहीं रही। इसमें नए प्रयोग की पूरी सम्भावना है। इन सम्भानाओं की बदौलत कई किसानों ने मिसाल कायम की है। उन्होंने ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया और दूसरे किसानों के प्रेरक बने। ऐसे ही किसानों में है। भोजपुर जिले के पीरों प्रखण्ड के देवचन्दा गाँव के
पशुपालन के लिए अब 12 लाख रुपए लोन मिलेगा। जिसमें 50 प्रतिशत सब्सिडी भी मिलेगी। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। ताकि डेयरी उद्योग को गति मिल सके। साथ ही पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में काम करने वाले किसानों को स्वरोजगार मिलेगा।
पशु पालन में घरेलू जानवर शामिल होते हैं | जिनका खेतीबाड़ी के साथ-साथ पालन किया जाता है और ये मार्किट में बिकने वाले उत्पाद देते हैं जैसे खाद्य पदार्थ, दूध और अन्य पदार्थ |